पाकुड़ संवाददाता
पाकुड़: रमजान महीना का पहला जुमें की नमाज़ ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 12:45 अदा किया गया।रमजान महीना को इबादत और बरकत का पाक महीना माना गया है।एक महीना पूरा रोजा भी रखते हैं तक़रीबन 12 घंटा उपवास रहता हैं।इस वर्ष रमज़ान की शुरूवात 11 मार्च से हो गई हैं और 15 मार्च को इस महीना का पहला जुमे की नमाज़ अदा किया गया।
जुम्मे की नमाज़ का महत्त्व क्या हैं?
मुस्लिम धर्म में रोजाना पांच वक्त की नमाज़ अदा करना फर्ज माना गया है लेकिन जुमे की नमाज़ इसलिए खास माने गई हैं, क्योंकि हदीस शरीफ़ में जुमे की नमाज़ को लेकर कहा गया हैं की हजरत आदम अलैहिस्सलम को जुमे के दिन ही जन्नत से इस दुनिया में भेजा गया और जन्नत में उनकी वापसी भी जुमे की दिन ही हुई।साथ ही इस्लाम में ऐसी मान्यता है कि, जुमे की दिन अदा की गई नमाज से अल्लाह पूरे हफ्ते की गलतियों को माफ कर देता है।
क्या करते है मौलवी?
मौलवी तारीकुल इस्लाम ने कहा कि कुरान की तिलावत को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाये कुरान शरीफ हिदायत का जरिया है जिसमे इंसानों की जिंदगी के हर पहलू को बताया गया है कुरान हदीस की रोशनी में अपनी जिंदगी को गुजरे जो दुनिया व आखरत के लिए कामयाबी का जरिया है उन्होंने लोगो से अपील की अपने बच्चों को अपने घरों में कुरान की तिलावत को आम करे यही आपके रोजी और हिदायत का जरिया बनेगा मुलबी तारीकुल इस्लाम ने आगे कहा कि मस्जिद को आबाद करे नमाज़ का पाबन्दी से अदा करे मस्जिद दिन के काम का मरकज है उन्होंने कहा कि रमजान के रोजा रखे खूब इबादत करे।जो आदमी रमजान महीना को पाया और रोजा रखा इस मकसद से की मैं नेकी कमाऊंगा तो उनके पिछले सारे गुनाह को माफ कर देते है अल्लाह ताला । रोजेदार नमाजियों के लिए रमजान महीना में आसमान के दरवाजे खोल दिए जाते हैं,साथ ही अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल दिया जाता हैं और जहनाम के दरवाजे बंद कर दिया जाता हैं। सौतन को झंझिड़ो से बंद दिया जाता हैं।